भारत में कोंसे जगह Adiyogi मूर्ति की प्रतिमाएँ है
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Adiyogi को पहले योगी माना जाता है जिन्होंने योग विज्ञान को अपने शिष्यों तक पहुंचा है जिन्हें बाद उनको सप्त ऋषि के नाम से जाना जाता है.इस माध्यम से बताना चाहते हैं कि कल 112 तरीका है जिनको माध्यम से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकता है. चरण सीमा तक पहुंच सकत है आदित्य योगी की शिक्षा व्यक्तिगत रूप से परिवर्तन थी जो कहा जाता है कि व्यक्तिगत दुनिया में बदलने का एकमात्र तरीका है यह है कि शाह मनुष्य की मुक्ति और कल्याण का एक अनोखा मूल्यवान मंत्र है कि यह लोगों के लिए प्रति भावना देवी देवताओं का पैसा मूल्यवान कर सके
बोला जाता है यह है कि Adiyogi का जन्म भगवान शिव की दिव्यता से हुआ है जिन्होंने आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है आदियोगी ऐसे व्यक्ति है जो विज्ञान के बारे में निर्देश देने वाले पहले व्यक्ति है और यह आदित्य योगी के बीच एक अनिवार्य गुरु भी है वह कमल के आकार में स्थित आदि योगी एक भगवान शिव के रूप में अंतिम मून से कैलाश पर्वत में ध्यान कर रहे हैं
Adiyogi की एक आदमी के शक्ति है जो श्री भगवान शिव से ध्यान में रखें और दीप योगदान में अपनी पत्नी पार्वती को दिया गया जिस रात भगवान शिव अपनी पत्नियों को ध्यान बांट रहा है तभी उन्होंने योग की आदि गुरु कहा जाने लगा
Adiyogi के इतिहास के बारे में यह बताया गया है कि योग शिक्षा का दूसरा स्रोत शास्त्र ऋषि सात ऋषियों को दिया गया था इन जिनको यह स्त्रोत आदियोगी ने क्रांति सरोवर के तट पर दिया गया था जो केदारनाथ के पास है
Architecture of Adi Yogi Statue
Adiyogi वासुदेवा सद्गुरु द्वारा शिव की प्रतिमा स्वयं डिजाइन की गई है जो ईशा फाउंडेशन के पास आदि योगी का सबसे बड़ी प्रतिमा है इस प्रतिमा का 112 फीट ऊंची और 147 फीट लंबी और 42 फीट चौड़ी ऐसी स्टील की बनाई हुई बनी है aadiyogi मूर्ति की प्रतिमा Tamilnadu के Coimbatore में ईशा फाउंडेशन की स्थित है जो शिव जो शिवा की योग में परिवर्तन माना जाता है इस प्रतिमा की स्थापना लोगों के योग और अतिरिक्त शांति प्रतीक के लिए बनाई गई है आदि योगी की यह 112 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई यह योग संस्कृत वर्जन मोक्ष प्राप्त के 112 संभावित तरीका है हर साल इस स्थान पर
महाशिवरात्रि के अवसर पर दुनिया के कोनों से लोग लाखों भक्तों यहां आते हैं महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर प्रकृति शिव शक्तियों का एक अनोखा अवसर देखने को मिलता है, इस अवसर पर सदगुरु महाराज के साथ लोग यहां पर अपना मां के विचार क्रेडिट करते हैं क्योंकि महाशिवरात्रि अवसर पर एक प्रमुख आकर्षण रहता है
माना जाता है यह भी है कि इस स्थान पर यह भौगोलिक महत्व है आदि योगी की प्रतिमा एक मुख्य रेशा है कि उत्तर डिग्री के अनुसार पर स्थित है जो पृथ्वी के दूरी में झुकाव के कारण स्थान पर केंद्र पर रखी गई है
Good time to visit Aditya Yogi site
कोयंबटूर की यात्रा के लिए सर्दी में घूमने के लिए अच्छा समय रहता है लेकिन अगर आप ध्यान और योग सिखाना चाहते हो तो आप मार्च अक्टूबर के आ सकते हो यह समय अच्छा रहता है
How to reach Adiyogi
Aadiyogi की मूर्ति की प्रतिमा कोयंबटूर से 30 किलोमीटर की दूरीपर स्थित है जो आपको तमिलनाडु के कोयंबटूर का औद्योगिक केंद्र है जो यह भारत का प्रमुख शहरों में माना जाता है यहां पर प्रमुख शहरों से हवाई रेल परिवहन मार्ग से भी आ जा सकता है यहां पर दिल्ली मुंबई कोलकाता हैदराबाद चेन्नई बेंगलुरु इस बड़ी शेरों से हवाई मार्ग से आ सकते हैं और इन शहरों से आप रेल मार्ग और परिवहन मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है
Road map : कोयंबटूर से इसकी दूरी 30 किलोमीटर की जो कि आपको कोयंबटूर बस स्टेशन से सीधी मिलती है
Train route : भारत के प्रमुख शहरों से कोयंबटूर के लिए रोजाना ट्रेन मिलती है जो आपको कोयंबटूर के रेलवे स्टेशन पर उतरती है
Flight route : जैसे कि बताया गया है भारत के प्रमुख शहरों से कोयंबटूर के लिए रोजाना फ्लाइट मिलती है जो सीधा आपको कोयंबटूर पहुंचती है
Other attractive places near Aadiyogi statue
दक्षिण भारत में वेल्लिंगिरी पर्वत के मनमा हक आलिंगन के बीच स्थित ध्यान लिंग मंदिर का एक उत्कृष्ट अभियान के रूप में खड़ा है जो की धार्मिक परंपरा का उदाहरण है जो यहां शांति आधुनिक जंग जागृति का मन को आकर्षित करने वाली जगह है
यह जगह सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा संकलित की गई है जो पवित्र शिवलिंग मंदिर के वास्तु शिल्पा एक चमत्कार माना जाता है इस मूर्ति की 113 फीट ऊंचाई क्योंकि काले ग्रेनाइट से आपको देखने को मिलती है , क्योंकि शिवलिंग जो है वो हिंदू धर्म का महत्व भक्ति का आधार माना जाता है
शिव शिवलिंग मंदिर में एक महत्व का रूप माना जाता है जो की Aadiyogi के यात्राओं में जो लोग आते हैं उनके लिए एक आकर्षित करने की भूमिका प्रदान करता है कि संस्कृत धार्मिक और ऊर्जा शांति बनाने का काम भी करता है ताकि लोगों को अपनी परंपराओं का ध्यान रखें ताकि वह अपनी ध्यान क्षमता प्रमाण को लोगों बताएं